हनीमून ट्रैवेल्स प्रा. लि.
मनीषा पाण्डेय
हनीमून ट्रैवेल्स प्रा. लि. देखी. मैं और मेरी एक दोस्त हंस-हंसकर पागल हुए. पूरी कहानी गोआ हनीमून मनाने गए छ: जोड़ों की कहानी है, जिसे रीमा कागती के बढिया निर्देशन ने संभाला है, जिनकी ये पहली फिल्म है. टिपिकल गुजराती जिगनीस और सिल्पा (उच्चारण का खास अंदाज) से लेकर बंगाली, पारसी, हिंदी, अंग्रेजी सब उसमें शामिल हैं, और हर कोई अपने आप में एक कैरेक्टर है. आम जिंदगी के चरित्रों और रोजमर्रा के व्यवहार में हास्य को पकड़ने की कोशिश है. फिल्म देखते हुए हंसी आती है और अपनी बहुत सारी मूर्खताएं और पिछड़ापन भी जाहिर होता चलता है. लेकिन इन मूर्खताओं पर आप भावुक होकर आंसू नहीं बहाने लगते. फिल्म में जिन सिचुएशंस और चरित्रों पर आपको हंसी आती है, अमूमन हिंदी फिल्मों में उसका कुछ मसाला और आंसू चुहाने वाला इस्तेमाल होता है. बीच-बीच में 98.3 एफएम की कमेंट्री और सिचुएशन के अनुकूल हिंदी फिल्मी गानों का इस्तेमाल मजेदार है.
सारे कलाकार अपनी-अपनी भूमिकाओं में फिट हैं, लेकिन बाबू मुशाय केके का अभिनय अच्छा है. फिल्म के सेकेंड हाफ में उसका एक डांस पूरी फिल्म की जान है. हिंदी दर्शकों के लिए इस तरह का हास्य एक नई बात है. हमारे यहां हास्य कलाकारों को पैच की तरह फिल्म में अलग से ठूंसा जाता है, जिसका कहानी से कुछ लेना-देना नहीं होता. जैसे एक फिल्म के लिए बनाए गए जॉनी लीवर के कुछ कॉमेडी सीन्स फिल्म के अटक जाने पर बेकार नहीं जाते, उस पैबंद को किसी दूसरी फिल्म में चिपका दिया जाता है, जैसे हिंदी फिल्मों के गानों के साथ भी होता है. हमारे यहां कुछ भी बेकार नहीं जाता। हम हर चीज का इस्तेमाल कर लेते हैं.
1 comment:
मैं ने इस फिल्म का सिर्फ पोस्टर देखा - बहुत बडी हनीमूनी फोज खडी थी। आपका ये लेख पढ कर लगा की मैं ने भी ये फिल्म देखली :-)
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