बडे कवि व मार्क्सवादी पसोलिनी अपनी पहली फिल्म अक्कातोने की तैयारियों की जोड-तोड में लगे हुए थे. पिता की साहित्यिक मित्रता बेरनार्दो के काम आई. पसोलिनी का पहला उपन्यास छपवाने में अतिल्यो की भूमिका रही थी. पसोलिनी ने उस ऋण को उनके बेटे को अपनी पहली फिल्म का असिस्टेंट रखते हुए उतारा. और शुरु हो गया बेरनार्दो का सफर. वह रोम विश्वविद्यालय में आधुनिक साहित्य की पढाई कर रहे थे. बेरनार्दो ने वह पढाई बिना स्नातक हुए छोड दी और 1962 में, महज 21 वर्ष की उम्र में अपनी पहली फीचर ‘ला कोम्मारे सेक्का’ निर्देशित की. यह अपेक्षाकृत आसान एक छोटी मर्डर मिस्ट्री थी, बेर्तोलुची की तरफ लोगों का असल ध्यान उनकी अगली फिल्म ‘प्रिमा देल्ला रेवोल्युत्ज़ोने’ (बिफोर द रेवोल्यूशन) के साथ गया (1964). इटली में एक से बढकर एक दिग्गजों के बीच किसी कमउम्र नौजवान का अपनी पहचान बनाना टेढी खीर थी, लेकिन बेर्तोलुची की वैचारिक बेचैनियों व फ़ॉर्म की विविधता ने बडे फलक पर उनका रंग जमाना शुरु किया.
1970 में बेर्तोलुची की दो फिल्में प्रदर्शित हुईं. पहली ‘द स्पाईडर्स स्ट्रैटेजेम’ बोर्खेस की रचना पर आधारित थी, तो दूसरी मोराविया की कहानी पर (द कन्फर्मिस्ट). दोनों अपनी बुनावट की जटिलता और कौशल में चौंकानेवाली फिल्में थीं. द कन्फर्मिस्ट में वित्तोरिया स्तोरारो का कैमरा जिस सघनता और स्केल पर तीसरे दशक की फासिस्ट इटली की अंदरुनी व बाहरी परतों को पकडता है, वैसे चाक्षुष अनुभवों से पहले लोगों का साबका नहीं पडा था. इस फिल्म ने एक सिनेमाटॉग्राफर स्टार पैदा कर दिया था. स्तोरारो और बेर्तोलुची की अगले दो दशकों तक रही और इस जोडी ने कुछ बहुत ही विशिष्ट सिनेमाई अनुभवों को साथ-साथ रचा.
‘लास्ट टैंगो ईन पैरिस’ दो साल बाद 1972 में आई. ज्यादातर बंधुओं के बीच यह फिल्म सैक्स के अपने विशद चित्रण के लिये जानी जाती है, मगर कम लोग जानते होंगे कि इस फिल्म ने बेर्तोलुची को साईकोअनालिस्टों के बीच कितना पॉपुलर किया था. भयानक परिस्थितियों में पत्नी की मौत के बाद इस फिल्म का नायक पॉल एक गुमनाम से सैक्सुअल रिश्ते में जीवन के अर्थ तलाशता है. मार्लन ब्रांडो के बहुतेरे चहेतों के लिये अब भी पॉल उनके करियर का सबसे बेहतर रोल है. लास्ट टैंगो के प्रदर्शन के दौरान सैक्स दृश्यों की वजह से ढेरों दिक्कतें हुईं. चर्च नाराज़ था, सरकार नाराज़ थी, तो दूसरी ओर अपने खेमे के चहेते फिल्मकार को इस कदर भटकता देख मार्क्सवादी बंधु भी बहुत प्रसन्न नहीं थे. मगर सैक्स और राजनीति की चाशनी बेर्तोलुची का खास मसाला रही है, और प्रोवोकेशन से उन्होंने कभी बचने की कोशिश नहीं की. लास्ट टैंगो की पूरी बुनावट- संपादन, कैमरा-वर्क, एक्टिंग, संगीत- सभी फिल्म मेकिंग के पारंपरिक प्रतिमानों को लगभग नकारती-सी खुद को रचती है.
इटली में पारंपरिक बैकिंग का आसरा छोड फिल्म की नींव बडी हस्तियों को साथ लेकर मजबूत करने की लीक भी बेर्तोलुची ने ही डाली. लास्ट टैंगो की मार्लन ब्रांडो व मारिया स्नाईडर वाली बडी कास्टिंग में मास्सिमो जिरोत्ती सिर्फ इकलौते इतालवी नाम थे. अगली फिल्म ‘1900’ में यह जलवा और परवान चढा. बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों की इतालवी देहातों में सामंती दबदबे को दर्शानेवाली इस फिल्म में ज्यादातर किरदार हॉलीवुड के बडे नाम बर्ट लैंकास्टर, डोनाल्ड सदरलैंड और रॉबर्ट डी’नीरो सरीखे स्टार निभा रहे थे. फिल्म में भावुकता और मजमेबाजी ज्यादा और राजनीतिक गहराई कम थी. यह सिलसिला आगे भी ज़ारी रहा. 1987 में ‘द लास्ट एम्परर’ और 1990 में ‘द शेल्टरिंग स्काई’ दोनों सिनेमाई अर्थों में भव्य फिल्में थीं (एम्परर को ऑस्कर में नौ अकादमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, उसने सारे ईनाम जीते), मगर बेर्तोलुची के सिनेमा से मोहब्बत करनेवालों को लगता था जैसे कुछ उनकी धार मिसिंग है.
बाद के वर्षों में बेर्तोलुची ने ‘लिटिल बुद्धा’, और ‘स्टिलिंग व्यूटी’ जैसी किशोर प्रेम कथा बनाई. 2003 में ‘द ड्रीमर्स’ के साथ फिर से साठ के दशक में वापस लौटे, उसकी एक भावुक, सैक्सुअल पडताल की. 2007 में उन्होंने जुम्मा-जुम्मा अपनी नई फिल्म ‘बेल कांतो’ की घोषणा की है. उनकी लुभावनी शैली के पुराने दिवाने फिर बेसब्री से इंतज़ार करेंगे कि देखें, अबकी ऊंट किस करवट बैठता है.
1970 में बेर्तोलुची की दो फिल्में प्रदर्शित हुईं. पहली ‘द स्पाईडर्स स्ट्रैटेजेम’ बोर्खेस की रचना पर आधारित थी, तो दूसरी मोराविया की कहानी पर (द कन्फर्मिस्ट). दोनों अपनी बुनावट की जटिलता और कौशल में चौंकानेवाली फिल्में थीं. द कन्फर्मिस्ट में वित्तोरिया स्तोरारो का कैमरा जिस सघनता और स्केल पर तीसरे दशक की फासिस्ट इटली की अंदरुनी व बाहरी परतों को पकडता है, वैसे चाक्षुष अनुभवों से पहले लोगों का साबका नहीं पडा था. इस फिल्म ने एक सिनेमाटॉग्राफर स्टार पैदा कर दिया था. स्तोरारो और बेर्तोलुची की अगले दो दशकों तक रही और इस जोडी ने कुछ बहुत ही विशिष्ट सिनेमाई अनुभवों को साथ-साथ रचा.
‘लास्ट टैंगो ईन पैरिस’ दो साल बाद 1972 में आई. ज्यादातर बंधुओं के बीच यह फिल्म सैक्स के अपने विशद चित्रण के लिये जानी जाती है, मगर कम लोग जानते होंगे कि इस फिल्म ने बेर्तोलुची को साईकोअनालिस्टों के बीच कितना पॉपुलर किया था. भयानक परिस्थितियों में पत्नी की मौत के बाद इस फिल्म का नायक पॉल एक गुमनाम से सैक्सुअल रिश्ते में जीवन के अर्थ तलाशता है. मार्लन ब्रांडो के बहुतेरे चहेतों के लिये अब भी पॉल उनके करियर का सबसे बेहतर रोल है. लास्ट टैंगो के प्रदर्शन के दौरान सैक्स दृश्यों की वजह से ढेरों दिक्कतें हुईं. चर्च नाराज़ था, सरकार नाराज़ थी, तो दूसरी ओर अपने खेमे के चहेते फिल्मकार को इस कदर भटकता देख मार्क्सवादी बंधु भी बहुत प्रसन्न नहीं थे. मगर सैक्स और राजनीति की चाशनी बेर्तोलुची का खास मसाला रही है, और प्रोवोकेशन से उन्होंने कभी बचने की कोशिश नहीं की. लास्ट टैंगो की पूरी बुनावट- संपादन, कैमरा-वर्क, एक्टिंग, संगीत- सभी फिल्म मेकिंग के पारंपरिक प्रतिमानों को लगभग नकारती-सी खुद को रचती है.
इटली में पारंपरिक बैकिंग का आसरा छोड फिल्म की नींव बडी हस्तियों को साथ लेकर मजबूत करने की लीक भी बेर्तोलुची ने ही डाली. लास्ट टैंगो की मार्लन ब्रांडो व मारिया स्नाईडर वाली बडी कास्टिंग में मास्सिमो जिरोत्ती सिर्फ इकलौते इतालवी नाम थे. अगली फिल्म ‘1900’ में यह जलवा और परवान चढा. बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों की इतालवी देहातों में सामंती दबदबे को दर्शानेवाली इस फिल्म में ज्यादातर किरदार हॉलीवुड के बडे नाम बर्ट लैंकास्टर, डोनाल्ड सदरलैंड और रॉबर्ट डी’नीरो सरीखे स्टार निभा रहे थे. फिल्म में भावुकता और मजमेबाजी ज्यादा और राजनीतिक गहराई कम थी. यह सिलसिला आगे भी ज़ारी रहा. 1987 में ‘द लास्ट एम्परर’ और 1990 में ‘द शेल्टरिंग स्काई’ दोनों सिनेमाई अर्थों में भव्य फिल्में थीं (एम्परर को ऑस्कर में नौ अकादमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, उसने सारे ईनाम जीते), मगर बेर्तोलुची के सिनेमा से मोहब्बत करनेवालों को लगता था जैसे कुछ उनकी धार मिसिंग है.
बाद के वर्षों में बेर्तोलुची ने ‘लिटिल बुद्धा’, और ‘स्टिलिंग व्यूटी’ जैसी किशोर प्रेम कथा बनाई. 2003 में ‘द ड्रीमर्स’ के साथ फिर से साठ के दशक में वापस लौटे, उसकी एक भावुक, सैक्सुअल पडताल की. 2007 में उन्होंने जुम्मा-जुम्मा अपनी नई फिल्म ‘बेल कांतो’ की घोषणा की है. उनकी लुभावनी शैली के पुराने दिवाने फिर बेसब्री से इंतज़ार करेंगे कि देखें, अबकी ऊंट किस करवट बैठता है.
ऊपर बायें कैमरे के पीछे बेर्तोलुची, दायें उनकी फिल्म 'द कन्फर्मिस्ट' का एक दृश्य.
बेर्तोलुची संबंधी किसी जिज्ञासा के लिये देखें: दुनिया के दिग्गज निर्देशक/बेर्तोलुची
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