12/06/2007

प्‍यार करने के ख़तरनाक नतीजे..

सत्‍तर के दशक के फ्रंचेस्‍को रोज़ी, बेर्तोलुच्‍ची के इतालवी सिनेमा का वर्तमान बेहद निराशाजनक है. पिछले तीसेक वर्षों से रहा है. मोनिका बेलुच्‍ची और जुसेप्‍पे तोरनातोरे के सेंसुअस सिनेमा (‘इल चिनेमा परादिज़ो’, ‘मलेना’) ने भले अपने चहेते बनाये हों, आठवें दशक की शुरुआत से- नान्‍नी मोरेत्‍ती और फ्रांको मरेस्‍कोदनियेले चिप्री जैसे चंद नामों से अलग शायद ही ऐसे इतालवी निर्देशक बचे हों, फ़ि‍ल्‍म-लुभैयों की अंतर्राष्‍ट्रीय बिरादरी जिसका बेसब्री से इंतज़ार करती हो. जो कुछेक महत्‍वपूर्ण काम हुआ है, सब मुख्‍यधारा और रोम के दक्षिण में हुआ है. साऊथ का सिसिलियन कनेक्‍शन. प्राचीनता की जड़ों व उत्‍तर-औद्योगिक समाज के पेचिदे रिश्‍तों की अपने-अपने तरीकों से, इ‍तमिनान से पड़ताल करता सिनेमा. दक्षिण के इन नये निर्देशकों में पाओलो सोर्रेंतिनो भी एक ख़ास नाम है (पैदाइश नेपल्‍स, 1970). अब तक छह फ़ि‍ल्‍में बनाई हैं. मैंने जो देखी, ‘द कन्सिक्‍वेंसेज़ ऑव लव’ (अंतर्राष्‍ट्रीय अंग्रेजी शीर्षक) वह 2004 में बनाई थी. रोमन भराव के मध्‍य अकेलापन. प्रेम का अकाल और प्रेमजन्‍य दुस्‍साहस की धीमे-धीमे बुनती सनसनियों के आधुनिक बिम्‍ब.

पिछले दिनों मिली-जुली कुछ और फ़ि‍ल्‍में देखीं. 1973, पैरिस, फ्रांस में जन्‍मे डैनिश सिनेकार दागुर कारि की 2005 में बनाई ‘डार्क हॉर्स’ (अंतर्राष्‍ट्रीय अंग्रेजी शीर्षक). कुछ-कुछ जिम जारमुश की काली-सफ़ेद फ़ि‍ल्‍मों के असर वाली कारि की फ़ि‍ल्‍म ज्‍यादा सरल व कॉमिक है. साधारणता का औसत जीवन जीते नायक की छोटी-छोटी अस्तित्‍ववादी परेशानियां एक खूबसूरत ग्राफ़ खड़ा करती हैं.

फिर ऑरसन वेल्‍स की ‘मिस्‍टर अर्काडिन’. लम्‍बी अवधि तक शूटिंग व हॉलीवुड स्‍टुडियो के टंटों में फंसी रही मुश्किल और परतदार फ़ि‍ल्‍म (जैसीकि वेल्‍स की फ़ि‍ल्‍में होती हैं. बहुतों को बहुत अच्‍छी लगती है तो ऐसे भी ढेरों स्‍वर हैं जो अर्काडिन को ‘सिटिज़न केन’ का कमतर ऑफ़शूट बताते हैं. पर्सनली मेरे लिए अच्‍छी कसावट की अच्‍छी वेल्सियन फ़ि‍ल्‍म.

जर्मनी के हरज़ोग की 1977 की ‘स्‍त्रोज़ेक’. दो लात खाये चरित्रों का इस उम्‍मीद में अमरीका पलायन कि वह उन्‍हें अमीर व सुखी कर देगा. फिर सपनों के देश का दु:स्‍वप्‍न में बदलना. टिपिकल, रिच हर्जोगियन ईनसाइट.

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