11/08/2021

द ग्रेट व्‍हॉट, नो क्‍लू

देह पर 'बावर्ची' का कॉस्‍ट्यूम  चढ़ाये वैसे भी तबीयत किसी को थप्पड़ मारने को मचल रही थी. थप्पड़ नहीं मारा, किताब हवा में उछाल दिया. पतला-सा नॉवल था, अंग्रेजी में, बेशऊर उड़ा, बेहया तरीके से जया के पैरों के पास गिरकर ढेर हुआ. जया सूती फूलदार सिंपल साड़ी में थी, घुटनों पर हाथ जोड़े, बरामदे की सीढ़ि‍यों पर गुमसुम बैठी, सामने तकती जाने क्या सोच रही थी, गिरी किताब का नहीं सोचा. किताब गिरी रही. पेपरबैक. अंग्रेजी की. राजेश झींकता, आकर सीढ़ि‍यों के पहलू खड़ा हो गया. जया अपने में थी, नहीं ली नोटिस. स्टार को तक़लीफ़ हुई. स्टार को हमेशा तकलीफ़ होती रहती थी. तक़लीफ़़ होने के पहले ही वह बेचैन होने लगता कि हो रही है, और आस-पास दूसरे परेशान कैसे नहीं हो रहे? दूसरों की परेशानी की स्टार बहुत सोचता. फ़ि‍लहाल वह जया के परेशान नहीं होने से परेशान था. 

राजेश : तुम्हारे लंबू ने पढ़ी है ये किताब?

राजेश ने ज़मीन पर बेमतलब हो रही पेपरबैक की तरफ़ इशारा किया. जया ने इशारा देखा, किताब नहीं देखी. 

जया : प्लीज़, काका, मैं फिर कह रही हूं, आप अमित जी को लंबू मत बुलाया करो! 

काके ने जवाब नहीं दिया. लेने का काका को शौक था, देना, साधारण जवाब भी, काका को बेचैन और परेशान करता. ऋषि दा को भी शिकायत थी काका आनसर क्यूं नई करता? माथाये पाथर कलेक्शन किया है, क्या  रे? नो जवाब. नथिंग. तुमारा आगे मैं टोटल टायर हो जाता, काका, सच्ची! 

अमित जी लंच के बाद अनवर अली और जलाल आगा के साथ जलाल की फियट में आये. फुसफुसाकर जया से कहा आपके हीरो ने मुझे हलो नहीं कहा. फिर. जया ने हाथ की किताब अमित के हाथ थमाते सवाल किया, ये पढ़ा है आपनेे?

फित्ज़जैरल्ड . ग्रेट गेट्सबाई. अमित ने सवा सौ पृष्‍ठों के पेपरबैक के पेज़ उलटे-पुलटे. जया को बुक बैक कि‍या, मुंह फेरकर कहीं और देखने लगेे. 

उस लड़की को नहीं देख रहेे थे जिसे उड़ती नज़रों से 555 के तीन कश लेते एक भरी नज़र काका ने देखा और थोड़ा असमंजस में परेशान होते रहे कि शायद बंगाली है. शायद ऋषि दा के पीछे-पीछे आई है. मगर अभी तक ऑटोग्राफ़ के लिए मेरे पास क्यों नहीं आई? इसने पढ़ी होगी किताब? चूमना जानती है? रियल चुम्मी ? तब तक फिर किताब का ख़याल आया और शक्ति (सामंत) से झुंझलाहट हुई. क्या सोचकर दी थी किताब? या सचिन (भौमिक) ने दी थी? राजेश को याद नहीं. राजेश याद करना चाहता है सुबह सात बजे किसी प्रोड्यूसर का फ़ोन आया था. गुजरात में प्रापर्टी खरीद देगा जैसी बकवास बातें कर रहा था. राजेश ने गालियां देकर उसका मुंह बंद किया था. या गालियां रुपेश (कुमार) ने दी थी? राजेश को याद नहीं. 

दादा का एक असिसटेंट भागता आया, सुरेश, या दिनेश. काका, आपके लिए फ़ोन है- नंदा मैम का! 

ये क्‍या चाहती है? मैं इसके साथ अब और फि‍ल्‍म करना नहीं चाहता! 

राजेश ने कहा जाकर बोलो, शॉट चल रहा है.  

सुरेश, या दिनेश, पलटकर जाने को हुआ, काका ने पीछे से आवाज़ दी, सुन! गाना जानता है?

लड़का अब लड़का नहीं रहा था, फिर भी काका को हमेशा समझ लेना उसी के क्या, उसके उस्ताद के भी वश की बात न थी.  

हां और ना और हां के बीच की किसी मुद्रा में उसने सिर हिलाया. 

राजेश ने एकदम से गाना शुरु किया. तुझपे फ़िदा, मैं क्यूँ हुआ, आता है गुस्सा मुझे प्यार पे, मैं लुट गया.. मान के दिल का कहा, मैं कहीं का ना रहा, क्या कहूँ मैं दिलरुबा, बुरा ये जादू तेरी आँखों का, ये मेरा क़ातिल हो गया.  गुलाबी आँखें, जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया. 

जा, नंदा से बोलना काका इज़ मिसिंग यू! और सुन, ये किताब लिये जा, पूछना उसने पढ़ी है?

(किताब अंजू महेन्‍द्रू ने भी कहां पढ़ी थी? मुमताज़ का मानना है उसने काका को भी ठीक से नहीं पढ़ा. शशि कपूर का मानना रहा खन्‍ना वॉज़ अ बैड बुक. यू कुड गो ऑन रीडिंग हिम फॉर आवर्स, दैन ‍रियलाइज़ यू वर नॉट रीडिंग, द बुक वॉज़ नेवर देयर, इन फैक्‍ट देयर वॉज़ नथिंग देयर. डिंंपल कहती हि‍ वॉज़ अ बैड एक्‍टर, शशि कपूर, एक्‍सेप्‍टेड. बट द मैन वॉज़ अ ग्रेट चार्मर. एंड अ गुड रीडर ऑफ पीपल. शशि साहब ने ही कहा तुम सत्‍यदेव दुबे के नाटकों से दूर रहो, बच्‍ची हो, बरबाद हो जाओगी.) 

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