नेटफ्लिक्स पर एक रुमानियन फ़िल्म है, ‘पापा पहाड़ हटाते हैं’, सरकारी इंटैलिजेंस की नौकरी से बाहर आया मीरचा पहाड़ क्या, पहाड़ के बापों को हटा सकता है, देश जितना पिछड़ा और संस्थागत तौर पर जर्जर हो, पहाड़ हटाने, तथ्यों को दबाने, संस्थाओं का अपने हित व स्वार्थ में बरतने की ताक़त उतनी ही बढ़ भी जाती है। 1989 में निकोलाय चायचेस्कू के तख्ता-पलट से रुमानिया तानाशाही के पाप से मुक्त नहीं हो गया। समाज से एक तानाशाही हटती है तो समाज दूसरी महीन तानाशाहियों को जगह देने की ज़मीन निकाल लेता है, मीरचा जैसे लोग ऐसी ज़मीनों के नेटवर्क से बेहतर वाकिफ़ हैं, इसलिए गर्लफ्रेंड के साथ पहाड़ों की तफरीह पर गया बेटा जब उन पहाड़ी तूफ़ानों में ऊपर की बर्फीली दुनिया में गुम गया है, मीरचा इसको ठेलता, उसको धकेलता बेटे की खोज में पहाड़ों को हिलाने, बेटा पाने पहुंचता है। और रुमानिया की पिछड़ी दुनिया में ताक़त और पहुंचदारी के संसार को हम धीरे-धीरे खुलता देखते हैं। मतलब नेगोशियेसन ऑफ़ पॉवर इन अ नट-शेल।
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