10/27/2010

29 अक्‍टूबर दायें या बायें..



अच्‍छे बच्‍चो, फिर परसों रिलीज़ हो रही है, आखिरकार.. पोस्‍टर, परचा, टीवी मैनेजमेंट, आमिर ख़ान कुछ नहीं है.. सिर्फ़ आपका हौसला है.. वह जितना हिचकोले खाकर आगे जायेगा, उतनी ही कुछ टेढ़े-मेढ़े रस्‍तों पर हिन्‍दी सिनेमा आगे जाएगी.

तो फ़ुरसत बनाइए, जेब के ज़रा से पैसे हिलाइए, जाके देख आइए (इसके पहले कि सिनेमा के ठेकेदार उसे सिनेमाघरों से उतार लें). फ़िलहाल बंबई, दिल्‍ली और बैंगलोर में ही आ रही है, आगे खुदा जैसी जितनी खैर करें..

5 comments:

अपूर्व said...

घंटे भर से गूगल-शूगल को तकलीफ़ दिये पड़ा हूँ सिनेमाहाल शो टाइमिंग सब को ले कर..पर या तो मैं अट्ठारवीं सदी मे हूँ या नेट शातिर हो चला है आजकल..कुछ पता नही चला..खैर बचेगा कब तक..वैसे कोई लिंक हो बेंगलुरू मे रिलीज डिटेल्स के बारे मे तो ठेलियेगा इत्थे..
और इसे यहा साझा करने के लिये बहुत आभार..

प्रज्ञा पांडेय said...

lucknow men kab aayegi? ayegi ya nahin /

anjule shyam said...

अच्छा सिनेमा ठीकेदारों के हाथों बर्बाद होता है...

prasant pundir said...

dayein yaa bayein

jarooor dekhunga

kundan said...

जबरदस्त फ़िल्म है। कायदे का अभिनय। खूबसूरत दृश्य। गाँव। पहाड़। इश्क़ में भागमभाग। कार चेस शेवरलेट। माने फ़ुल्टुस पैसा वसूल।