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सामान्यतया, प्रकट तौर पर इतिहास हमेशा हमसे ज़रा दूर, कहीं बाहर चल रही परिघटना की तस्वीर बनी रहती है. वह अभागे लोग होते हैं जिनका जीवन सीधे उस भंवर की चपेट में आ जाए.
क्लॉदिया ल्लोसा निर्देशित पेरु की फ़िल्म '
द मिल्क ऑव सॉरो' कुछ ऐसे ही अभागे संसार का सफर है. अपनी मां के मरने के बाद बहुत डरी हुई जवान नायिका फाउस्ता डगमग पैरों अपने अतीत में उलझी अपना वर्तमान सहेजने की कोशिश कर रही है. मज़ेदार यह है कि फाउस्ता की कहानी बड़ी आसानी से एक समूची सभ्यता का विहंगम दस्तावेज़ बनने लगता है. अंग्रेजी के एक ब्लॉग पर फ़िल्म की एक सीधी
समीक्षा है, दिलचस्पी बने तो उधर नज़र मार लें. ब्रॉडबैंड अनलिमिटेड के जो सिपाही फ़िल्म डाउनलोड करना चाहते हैं तो उसका टौरेंट लिंक
यह रहा.
3 comments:
जरूर....
टोरेंट डाऊनलोड कर लिया जी.. अभी दो-तीन टोरेंट्स लाईन में है, उसके बाद इसी का नंबर आयेगा.. :)
सही है साहेब जी।
भोपाल आइये, पाइरेटेड सीडी का घटिया खजाना दिखाते हैं...
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