मालूम नहीं था ब्लादिमीर मोतिल नाम का कोई निर्देशक रहा है, या रुस में कभी कोई 'वेस्टर्न' बनी है. सधी नज़र की बड़ी सुलझी कारस्तानी (अंग्रेजी में जिसे 'कूल' कहते) देखने के बाद खबर हुई वेस्टर्न के जानर की सोवियत रुस में पहली कोशिश थी, और दस लटके, ज़्यादा झटकों के बाद फ़िल्म बनकर जब 1970 में रिलीज़ हुई तो लोगों ने इतना पसंद किया कि बड़े लोगों की बड़ी-बड़ी फ़िल्म्ों भुला दी गई हैं, लेकिन 'रेगिस्तान का सफ़ेद सूरज' अब तक देखा जा रहा है..
1 comment:
is film ke kya theme thi
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