7/09/2007

जीवन एक जादू..

निर्देशक: इमीर कुस्‍तुरिका
अवधि: 155 मिनट
साल: 2004

रेटिंग: ***

सारायेवो में पैदा हुए बोस्नियायी मुसलमान, छह फुटी ऊंची डील-डौल और खूबसूरत शख़्सीयत के मालिक इमीर कुस्‍तुरिका जब फ़ि‍ल्‍म नहीं बनाते तो अपने ‘नो स्‍मोकिंग बैंड’ के पागलपनों से भरे गानों की तैयारी में जुटे होते हैं. और फ़ि‍ल्‍म बनाते वक़्त तो पागलपन रहता ही है. नक़्शे में बेमतलब हो चुके पुराने युगोस्‍लाविया में नस्‍ल व इतिहास के चपेटे में विस्‍मयकारी जीवन जीते लोगों का शोकगीत दर्ज़ करना कुस्‍तुरिका की क़रीबन पंद्रह फ़ि‍ल्‍मों का मुख्‍य थ़ीम रहा है. समसामयिक सिनेमा में फैल्लिनियन शैली की दुनिया गढ़नेवाले कुस्‍तुरिका उन चंद भाग्‍यवान सिनेकारों में हैं जिन्‍हें कान में दो मर्तबा पुरस्‍कृत किया गया (‘व्हेन फ़ादर वॉज़ अवे ऑन बिज़नेस’, 1985 और दस वर्ष बाद ‘अंडरग्राउंड’ के लिए 1995 में). ’ज़ि‍वोत जा कुदो’ (अंग्रेज़ी में ‘लाईफ़ इज़ अ मिरैकल’) उन्‍होंने 2004 में बनाई..

बोस्निया, 1992 का समय. कहानी का नायक लुका बेलग्रेड से अपनी ऑपेरा गानेवाली और ऑपेरैटिक-सी ही पिच पर रहनेवाली बीवी और फुटबॉल के खिलाड़ी बेटे मिलॉश के संग अपने को एक गुमनाम-से गांव में स्‍थानांतरित करता है. आंखों में एक ऐसे रेलमार्ग का सपना पाले जो क्षेत्र को पर्यटकों के स्‍वर्ग में बदल डालेगी.. काम व स्‍वभावगत आशावाद की ख़ुमारी में इस बात से अनजान कि कैसे माथे पर युद्ध के गहरे बादल मंडरा रहे हैं.. और फिर जब धमाकों से गांव की दीवारें गूंजना शुरू करती हैं तो लुका के जीवन का सब उलट-पुलट जाता है.. पत्‍नी किसी हंगैरियन संगीतकार के साथ उड़ जाती है, बेटा छिनकर फ़ौज का हो जाता है.. मगर फ़ि‍ल्‍म विभीषिकाओं के यथार्थवादी डॉक्‍यूमेंटशन में नहीं फंसती.. वह तने हुए तारों में इतिहास व मनुष्‍यता के कैरिकेचर पकड़ती है.. जिस कैरिकेचर में मनुष्‍य और पशु लगातार एक-दूसरे के संग जगहों की अदला-बदली करते रहते हैं.. कभी-कभी पशुत्‍व मनुष्‍यता से ज्‍यादा कोमल व मार्मिक भी हो लेती है..

फ़ि‍ल्‍म की कहानी के विस्‍तार में जाने से बच रहा हूं.. उस पर अन्‍य जगहों काफी लिखा गया है. आपकी दिलचस्‍पी बने तो एक नज़र यहां मार सकते हैं.

3 comments:

Yunus Khan said...

तो परमोद भैया लौट ही आप इधर की तरफ । मुझे आप ‘इधर’ ज्‍यादा अच्‍छे लगते हो, पर उधर भी उतने बुरे नहीं लगते ।

Udan Tashtari said...

दिलचस्प-लगता है अब यह फिल्म देखना पड़ेगी. पता नहीं आराम से मिल पाती है कि नहीं. आभार जानकारी और लिंक के लिये.

Divine India said...

प्रमोद जी,
मेरे लिए तो यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण है… International Cinema के संदर्भ में वैसे भी जानने को ज्यादा नहीं मिलता मैंने भी यह प्रयास किया है कि कुछ इस प्रकार का किया जाए आपसे सहयोग की आशा है…
http://directorsdesk.blogspot.com
आप क्या मुंबई में रहते है… have u a collection of these type of stuff...i really want to know.