10/27/2010

29 अक्‍टूबर दायें या बायें..



अच्‍छे बच्‍चो, फिर परसों रिलीज़ हो रही है, आखिरकार.. पोस्‍टर, परचा, टीवी मैनेजमेंट, आमिर ख़ान कुछ नहीं है.. सिर्फ़ आपका हौसला है.. वह जितना हिचकोले खाकर आगे जायेगा, उतनी ही कुछ टेढ़े-मेढ़े रस्‍तों पर हिन्‍दी सिनेमा आगे जाएगी.

तो फ़ुरसत बनाइए, जेब के ज़रा से पैसे हिलाइए, जाके देख आइए (इसके पहले कि सिनेमा के ठेकेदार उसे सिनेमाघरों से उतार लें). फ़िलहाल बंबई, दिल्‍ली और बैंगलोर में ही आ रही है, आगे खुदा जैसी जितनी खैर करें..

10/24/2010

काठ की कुर्सी

एक एनिमेटेड फ़िल्‍म है, पंद्रह मिनट की. कैनेडा के फ्रेडरिक बाक हैं, उनकी उड़न है.



दूसरी फ़िल्‍म भी कैनेडा से ही है, दस मिनट की, कैरोलाइन लीफ़ की, यह काठ की कुर्सी नहीं, कठीला-कंटीला जीवन का चित्र है.