थोड़े-थोड़े में कुछ लोग चलते रहते हैं, व्यायाम भी होता है, चलकर कहीं पहुंचना तो होता ही है. कुछ लोग बिना चले पहुंचना चाहते हैं (मैं अपनी बात नहीं कर रहा). ख़ैर, आनंद गांधी का कुछ और सामान, पुरनका, छोटी फिल्में. यह 2003 में बनाई पहली 'राइट हीयर राइट नाउ' नाम से पहली और दूसरी दो किस्तों में है. उसके तीन वर्षों बाद पांच खंडों में 'कंटिन्युअम' बनाई, उसकी लिंकाई यह रही: भूख, व्यापार और प्रेम, मृत्यु, ज्ञान, अद्वेत..
(जिस ब्लॉग के रास्ते नज़र पड़ी, उसका आभार)
1 comment:
चंद पोस्टों तक जाती एक गली , जिसमें हमने आपका एक ठिकाना भी सहेज़ लिया है , और उसके साथ एक मुस्कुराहट के लिए चंद शब्द जोड दिए हैं , आइए मिलिए उनसे और दोस्तों के अन्य पोस्टों से , आज की ब्लॉग बुलेटिन पर
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