2/17/2008

द बैंड्स विज़ि‍ट

चिरकुट भावुक नौटंकियों से अलग सिनेमा में अब भी उम्‍मीद है? बहुत ऐसे मौके बनते हैं? और बनते हैं तो हमें देखने को कहां मिलते हैं? मगर कल देखने को मिला और देखते हुए हम धन्‍य हुए. सतासी मिनट की इज़राइली फ़ि‍ल्‍म ‘द बैंड्स विज़ि‍ट’ बड़े सीधे लोगों की बड़ी सीधी-सी कहानी है. फ़ि‍ल्‍म का डिज़ाईन भी सरल व कॉमिक है, मगर इसी सरलता में बड़ी ऊंची व गहरी बातें घूमती रहती हैं. ओह, मन तृप्‍त हुआ..

मिस्‍त्र से एक नये अरब संस्‍कृति केंद्र के उद्घाटन के सिलसिले में इज़राइल पहुंचा अलेक्‍सांद्रिया सेरेमोनियल पुलिस बैंड के पुरनिया, सिंपलटन सिपाही अपनी बस से उतरने के बाद उत्‍साह में इंतज़ार कर रहे हैं कि उनकी अगवानी के लिए फूल लिये कोई दस्‍ता आयेगा. फूल तो क्‍या कोई बबूल लिये भी नहीं पहुंचता. ग्रुप के एक नौजवान सदस्‍य के भाषाई कन्‍फ़्यूज़न में दस्‍ता एक ऐसे सूनसान उजाड़ पहुंच जाता है जहां अरब हैं न संस्‍कृति. जगह ऐसी है कि रात गुजारने के लिए एक होटल तक नहीं. उस बियाबान में कुछ सीधे-टेढ़े स्‍थानीय चरित्र हैं, मजबूरी में जिनकी संगत में यह बेसुरा फूंक-फूंक के समय गुजारना है. और इस थोड़े से एक दिन के चंद घंटों के समय में ही उखड़े, बिखरे, बेमतलब हो गए लोगों की संगत में मानवीयता की हम एक प्‍यारी सी झांकी पा लेते हैं. यू ट्यूब पर फिल्‍म के ट्रेलर की एक झांकी आप भी पाइए. एरान कॉलिनिन की पहली फ़ि‍ल्‍म है. खुदा करे आगे भी वह ऐसी ही सरल व सन्‍न करते रहनेवाली फ़ि‍ल्‍में बनायें.

एरान कॉलिनिन से एक और इंटरव्‍यू..

1 comment:

Sushobhit Saktawat said...

The Band's Visit aaj subah dekhi. Aap hi se mili thi ye film, go aapne hamare liye bhijwayi nahi thi.

Fir aap ke hi blog par is film ke baare mein padhkar uski taraf badhne ka ishara mila.

2007 me aayi thi ye film, hum bhi tab isi dharti pe the, lekin hamein kuchh pata hi na chala tha. Aakhir pata chalta bhi to kaise?

Aur tab main sochta hu ki kya ye ek mahatvpoorna bhumika nahi hai, jo aap nibha rahe hain apne is blog ke marfat? Aisi jagaho ka pata batana, jahan hum pahunch sakte hain, pahunchna chahiye, kintu pahunche nahi the ab tak. Aur fir ek din, Band's visit ki tarah hum khud ko paate hain ek nai zameen par.

Bahut sunder film... aur ye khyaal ki aap na batate to ise chook jaate hum, ek krutgyata ke bodh se bhar deta hai hamein aapke aur cilema ke prati.

Shukriya. Brawo!