
यूगांडा के एआईडीएस पीड़ित परिजनों के अनाथ बच्चों की मदद करनेवाली अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी के सहयोग से बनी फ़िल्म अभागे बच्चों की इसी दुनिया में घूमती है, लिटरली; कुछ ऐसा, इतना ही सरल फ़िल्म का ढांचा है: बीच-बीच में पीछे छूटती सड़कों का भव्य, अनूठा लैंडस्केप है, और फिर नाचते, ठुमकते, कैमरे के आगे आ-आकर मुंह बिराते बच्चों की हुड़दंग है.. ओर-छोर तक फैली गरीबी, असहाय सामाजिक लोक व उसमें असहाय कभी भी आते रहनेवाली मृत्यु का अनाटकीय डॉक्यमेंटेशन है.
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