tag:blogger.com,1999:blog-1655044654219612786.post9139392630622200939..comments2023-09-10T17:30:42.827+05:30Comments on cinema- सिलेमा: कुछ लिंक्स..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1655044654219612786.post-37171070526375718822010-03-29T01:17:53.248+05:302010-03-29T01:17:53.248+05:30..उफ़..’कम-एंड-सी’ वार-मूवीज (अगर ऐसा कोई जेनर होता.....उफ़..’कम-एंड-सी’ वार-मूवीज (अगर ऐसा कोई जेनर होता है) या होलोकास्ट-मूवीज (कोई फ़र्क नही पड़ता कि होता है या नही) मे मेरी लिस्ट मे सबसे ऊपरी पायदान की फ़िल्म है..इसकी हिला कर रख देने वाली कहानी तो आपका निहत्थे शिकार करती ही है..बल्कि इसके टेक्निकल-डिटेल्स भी दिमाग को चींथ के रख देते हैं..जैसे कि इसका साउंड मिक्सिंग.मूवी देखने के कई दिनों बाद तक भी कानों मे सीटियों सा भमकता रहता है..इसी तर्ज पर कुछ और फ़िल्मे जो मुझे याद आती हैं उनमे से कोरियन ’ब्रदरहुड ऑफ़ वार’ (ताइगुक्गी) और कुर्दिश ’टर्टल्स कैन फ़्लाइ’ जेहन के दरवाजे पर किसी तालिबानी पोस्टर सी आज तक चिपकी हुई हैं..ये फ़िल्में टिपिकल हालीवुडिया पिक्चरों की तरह कुँएं की जगत पर बैठ कर युद्ध की प्रासंगिकता और उसके समाजशास्त्रीय आदि प्रभावों पर दर्शन नही झाड़ती..न उसको ग्लैमराइज करती हैं..वरन् कुएँ मे आपको सीधे धक्का दे देती हैं..कि खुद देख लो आप अपने आप डूब कर...<br />देखा मै भी सेंटिया गया..;-)अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.com