tag:blogger.com,1999:blog-1655044654219612786.post6174137285440641640..comments2023-09-10T17:30:42.827+05:30Comments on cinema- सिलेमा: राजा बाबू की रामलीलाazdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1655044654219612786.post-76325747048529891022007-02-10T23:03:00.000+05:302007-02-10T23:03:00.000+05:30पहली बार पढा, तो लगा कि ठीक ही लिखा है. लेकिन अब ल...पहली बार पढा, तो लगा कि ठीक ही लिखा है. लेकिन अब लगता है, बात गहरी लगेगी नहीं. अमिताभ गर्त में थे, अमर ने निकाला. अब नमक जैसे फर्ज़ की बात है. ग़ैरत भी नहीं बची इस परिवार में. बेंटली कार के पूरे घपले पर लिखना था. देश को उंगली करनी थी, ऐसों ऐसों को माथे पर क्यों रखता है. अपने जमाने में धर्मेंद्र या अमिताभ ही आकर इतने पिट जाते, तो आज गांव लौट कर चारपाई पर बैठ कर हुक्का गुडगुडा रहे होते. लेकिन इनके बेटे फसल काट रहे हैं. इतना हल्ला गुल्ला क्यों? बॉलीवुड से इतनी उम्मीद क्यों जहां काम का कलाकार लोकल ट्रेन में धक्के खाता रहता है, कंपनी के सामने विचित्र हाव-भाव किये खडे रहता है, कोई भाव नहीं देता. अभिषेक सिन्ड्रोम को थोडा और व्याख्या देनी थी. अभी इतना ज़्यादा है.Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1655044654219612786.post-16219185446575310622007-02-10T21:34:00.000+05:302007-02-10T21:34:00.000+05:30जब क क क करके कोई किंग खान बन सकता है तो राजा बाबू...जब क क क करके कोई किंग खान बन सकता है तो राजा बाबू बनने में कौन सी मेहनत की जरूरत है ;)Anonymousnoreply@blogger.com